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kale pani ki saja

काले पानी की सज़ा

भारतीय इतिहास में काले पानी की सज़ा का अत्यधिक परिचय मिलता है काले पानी की सजा भारतीय सभ्यता का सबसे क्रूर सच है आज़ादी की लड़ाई के दोरान ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को सेलुएलर जेल में  रखा जाता था तथा उन्हें दण्डित किया जाता था। स्वतंत्रता सेनानियों को डराने के लिए ब्रिटिश सरकार  का यह सबसे बढ़ा हथियार था।

कैदियों को हफ्तों तक भूखा रखा जाता था और भूखे पेट काम करवाया जाता था उनके शरीर पर अत्यधिक जख्म दिए जाते थे तथा उन पर नमक और मिर्ची का लेप किया जाता था उन्हें सारा सारा दिन उल्टा लटकाया जाता था तथा शरीर पर क़िलों से घाव किए जाते थे।
काले पानी की सजा के दोरान स्वतंत्रता सेनानियों को अत्यधिक टोर्चर किया जाता था उन्हें जानवरों की तरह कोड़े मारे  जाते थे उन्हें मजबूर किया जाता था कि वह अपने धर्म से हटें तथा अंग्रेज़ों का साथ दें। जिसे भी एक बार इस जेल में डाल दिया जाता था उसका वापिस आना संबव नही था। 
लाखों स्वतंत्रता सेनानियों  को काले पानी की सजा दी गयी थी उनमे से केवल कुछ स्वतंत्रता सेनानि ही बाहर सके जिन स्वतंत्रता सेनानियों  ने अपना रास्ता बदल लिया तथा अंग्रेज़ों के ज़ुल्मों के आगे घुटने टेक दिय वही बाहर सके। ब्रिटिश सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों को पीछे हटाने के लिए काले पानी की सजा ही सबसे मुख्य हथियार थी।काले पानी की सजा दुनिया की सबसे खतरनाक सज़ाओं में से एक थी।इन में कैदियों को मानसिक शारीरिक रूप से टॉर्चर किया जाता था।काले पानी की सजा अकाल मौत के जैसी थी



अंडमान-निकोबार में स्थित इस जेल का इस्तेमाल ब्रिटिश काल में राजनीतिक कैदियों को रखने के लिए किया जाता था. बहुत से लोग इसे काला पानी के नाम से भी बुलाते हैं. इसे राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया गया है
इस जेल का निर्माण 1896 में शुरू हुआ और ये 1906 में बनकर तैयार हो गयी। इमारत के लिए ईंटें बर्मा से लाई गई थीं जेल सात हिस्सों में बंटा है आज़ादी के बाद दो खंड को ध्वस्त कर दिया गया था
यहां कुल 693 कमरे थेl सेल बहुत छोटा था और छत के पास एक रोशनदान हुआ करता था
फांसी की सज़ा पाए क़ैदियों को यहां सूली पर लटकाया जाता था 1942 में जापान ने अंडमान द्वीप पर क़ब्ज़ा कर अंग्रेज़ों को खदेड़ दिया था. हालांकि 1945 में दूसरा विश्वयुद्ध ख़त्म होने पर ये फिर से अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े में गया।
 
जेल को 1969 में एक राष्ट्रीय स्मारक में तब्दील कर दिया गयाइसे राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया गया है। यह जेल अब भारतीयों के लिए 'स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का प्रतीक' है यहाँ बढ़ीं संख्या में पर्यटक आते हैं।

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